इस पोस्ट में, मैंने जैन मंत्र शस्त्र में वर्णित ४ बहुत की प्रभावशाली मंत्रों के बारे में लिखा है जिनका पवित्र भाव और सच्चे मन से जाप करने से साधक विद्वान और ज्ञानी या एक महान और लिकप्रिय कवि बन सकता है या अपने वाणी को आकर्षक और प्रभावशाली बना सकता है।
अत्यंत विद्वान और ज्ञानी बनने का जी मंत्र:
इस मंत्र का तीन संध्या या त्रिकाल संध्या के काल में १ माला यानी १०८ बार जाप करना है। त्रिकाल संध्या का लगभग काल सवेरे ३.४५ से ५.४५, दोपहर ११.४५ से १२.३० और श्याम ५.३० से ७.०० ऐसा होता है।
|| ओम् अरपचन धीं स्वाहा ||
|| Aum Aarapachana Dheem Swaha ||
महान कवि और वक्ता बनने का पहला जैन मंत्र: इस मंत्र का हर दिन लगभग एक समय पर निर्धारित संख्या में जाप करके १००, ००० मंत्र जाप पूरे करने से साधक महान कवी या शायर बन जाता है।
|| ओम् क्रीं वद् वद् वाग्वादिनि ह्रीं नमः ||
|| Aum Kreem Vad Vad Vagvaadini Hreem Namah ||
कवी बनने का दूसरा जैन मंत्र: इस मंत्र का फल पहले मंत्र जैसा ही है। साधक को इस मंत्र का सिर्फ ३ दिनों में १२, ००० बार जाप करने से उसे काव्य-रचना-शक्ति प्राप्त होती है।
|| ओम् ह्रीं सरस्वत्यै नमः ||
|| Aum Hreem Saraswatyai Namah ||
वाणी को शक्तिशाली बनाने का जैन मंत्र: इस मंत्र से साधक के आवाज में शक्ति आती है और वह सर्वजनों को किसी भी हेतु के लिए प्रभावित कर सकता है। साधक को इस मंत्र को कम से कम दिनों में १२००० बार बोलना है और उसके बाद मंत्र का हर दिन १०८ बार जाप करना है।
|| ओम् नमो मालिनी किलि किलि सणि सणि स्वाहा ||
|| Aum Namo Malini Kili Kili Sani Sani Swaha ||
अत्यंत विद्वान और ज्ञानी बनने का जी मंत्र:
इस मंत्र का तीन संध्या या त्रिकाल संध्या के काल में १ माला यानी १०८ बार जाप करना है। त्रिकाल संध्या का लगभग काल सवेरे ३.४५ से ५.४५, दोपहर ११.४५ से १२.३० और श्याम ५.३० से ७.०० ऐसा होता है।
|| ओम् अरपचन धीं स्वाहा ||
|| Aum Aarapachana Dheem Swaha ||
महान कवि और वक्ता बनने का पहला जैन मंत्र: इस मंत्र का हर दिन लगभग एक समय पर निर्धारित संख्या में जाप करके १००, ००० मंत्र जाप पूरे करने से साधक महान कवी या शायर बन जाता है।
|| ओम् क्रीं वद् वद् वाग्वादिनि ह्रीं नमः ||
|| Aum Kreem Vad Vad Vagvaadini Hreem Namah ||
कवी बनने का दूसरा जैन मंत्र: इस मंत्र का फल पहले मंत्र जैसा ही है। साधक को इस मंत्र का सिर्फ ३ दिनों में १२, ००० बार जाप करने से उसे काव्य-रचना-शक्ति प्राप्त होती है।
|| ओम् ह्रीं सरस्वत्यै नमः ||
|| Aum Hreem Saraswatyai Namah ||
वाणी को शक्तिशाली बनाने का जैन मंत्र: इस मंत्र से साधक के आवाज में शक्ति आती है और वह सर्वजनों को किसी भी हेतु के लिए प्रभावित कर सकता है। साधक को इस मंत्र को कम से कम दिनों में १२००० बार बोलना है और उसके बाद मंत्र का हर दिन १०८ बार जाप करना है।
|| ओम् नमो मालिनी किलि किलि सणि सणि स्वाहा ||
|| Aum Namo Malini Kili Kili Sani Sani Swaha ||
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