इस पोस्ट में, मैंने एक ऐसे चमत्कारी मंत्र के बारे में बताया है जिसका जाप करने से किसी भी प्रकार के भय, शक, विरोध, संघर्ष या अन्य किसी भी कारण से साधक को अपना जीविकोपार्जन यानी जीविका प्राप्ति का चुना हुआ मार्ग बदलने से रोकता है और अपने जीवन का उद्देश पूरा करने में सहायता करता है।
"जीविकोपार्जन" एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ "जीवन की आजीविका कमाना" या 'Livelihood' ऐसा होता है। इस शब्द का उपयोग सामाजिक या आर्थिक संदर्भ में किया जा सकता है, जिसमें व्यक्ति अपनी आजीविका कमाने के लिए किए जाने वाले कार्यों और प्रक्रियाओं को संदर्भित कर रहा होता है।
जीविकोपार्जन का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में हो सकता है, जैसे कि व्यापार, शिक्षा, कला, खेती, औद्योगिक क्षेत्र, और अन्य समृद्धि क्षेत्रों में। इसमें अपने आत्म-रोजगार के लिए किए जा रहे कार्यों, उद्यमिता, और पेशेवर उत्कृष्टता की दृष्टि से भी बात की जा सकती है।
जीविकोपार्जन का सकारात्मक रूप से प्रवर्तन करना और उच्च गुणवत्ता वाली आजीविका प्राप्त करना सामाजिक और आर्थिक सुदृढ़िता की दिशा में मदद कर सकता है।
इस मंत्र का प्रयोग करने की विधि इस प्रकार से है: इस मंत्र के साथ पूजा-विधि, अनुष्ठान, दिशा, आसन, माला इत्यादि का बंधन जुड़ा हुआ नहीं है। और, यह एक स्वयं सिद्ध शाबर मंत्र है, इसलिए इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। इस चमत्कारी मंत्र को जैन धर्म से जोड़ा जा सकता है।
अगर साधक किसी भी कारणवश अपना जीविकोपार्जन बदलने के बारे में सोच रहा है, या उसे डरा-धमकाकर ऐसे करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, तब उसने मंगलवार के दिन पर आगे बताए हुए शाबर मंत्र का ३१ बार जाप करना चाहिए। ऐसा करने से उसे आत्मबल और दैविक सहायता प्राप्त होगी।
|| ॐ क्रां क्रीं ह्रां ह्रीं उसभमजिय च वंदे संभवपभिनंदणं च सुमई च पाउमष्यहं सुपांस जिर्ण च चंदप्पहं वंदे स्वाहा ||
|| Om Kraam Kreem Hraam Hreem Usabhamajiya Cha Sambhavapabhinandanam Cha Paaumashyaham Supaamsa Jirna Cha Chandappaham Vande Swaha ||
"जीविकोपार्जन" एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ "जीवन की आजीविका कमाना" या 'Livelihood' ऐसा होता है। इस शब्द का उपयोग सामाजिक या आर्थिक संदर्भ में किया जा सकता है, जिसमें व्यक्ति अपनी आजीविका कमाने के लिए किए जाने वाले कार्यों और प्रक्रियाओं को संदर्भित कर रहा होता है।
जीविकोपार्जन का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में हो सकता है, जैसे कि व्यापार, शिक्षा, कला, खेती, औद्योगिक क्षेत्र, और अन्य समृद्धि क्षेत्रों में। इसमें अपने आत्म-रोजगार के लिए किए जा रहे कार्यों, उद्यमिता, और पेशेवर उत्कृष्टता की दृष्टि से भी बात की जा सकती है।
जीविकोपार्जन का सकारात्मक रूप से प्रवर्तन करना और उच्च गुणवत्ता वाली आजीविका प्राप्त करना सामाजिक और आर्थिक सुदृढ़िता की दिशा में मदद कर सकता है।
इस मंत्र का प्रयोग करने की विधि इस प्रकार से है: इस मंत्र के साथ पूजा-विधि, अनुष्ठान, दिशा, आसन, माला इत्यादि का बंधन जुड़ा हुआ नहीं है। और, यह एक स्वयं सिद्ध शाबर मंत्र है, इसलिए इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। इस चमत्कारी मंत्र को जैन धर्म से जोड़ा जा सकता है।
अगर साधक किसी भी कारणवश अपना जीविकोपार्जन बदलने के बारे में सोच रहा है, या उसे डरा-धमकाकर ऐसे करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, तब उसने मंगलवार के दिन पर आगे बताए हुए शाबर मंत्र का ३१ बार जाप करना चाहिए। ऐसा करने से उसे आत्मबल और दैविक सहायता प्राप्त होगी।
|| ॐ क्रां क्रीं ह्रां ह्रीं उसभमजिय च वंदे संभवपभिनंदणं च सुमई च पाउमष्यहं सुपांस जिर्ण च चंदप्पहं वंदे स्वाहा ||
|| Om Kraam Kreem Hraam Hreem Usabhamajiya Cha Sambhavapabhinandanam Cha Paaumashyaham Supaamsa Jirna Cha Chandappaham Vande Swaha ||
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