इस पोस्ट में, मैंने भगवान शिव जी के ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली प्राचीन मृत्युंजय महामंत्र के बारे में लिखा है। यह मंत्र बोलने से साधक के शरीर में प्रचंड सात्विक रोग विनशाक ऊर्जा का आकर्षण होता है और वह हर प्रकार के मानसिक और शारीरिक रोगों और विकारों से छुटकारा पा सकता है।
इस चमत्कारी मृत्युंजय मंत्र को शिव जी में अटूट भक्ति रखकर सच्चे मन से पढ़ने से कठिन और शक्तिशाली नकारात्मक शक्तियों और गंभीर और जटिल रोगों से मुक्ति मिलती है। मृत्यु, भूत-प्रेत, दुश्मनों और दुर्घटना का भय मन में से तुरंत निकल जाता है। शिव भक्त को मानसिक अशांति, डिप्रेशन, अकारण डर, तनाव, बेचैनी और फोबिआ से शीघ्र छुटकारा मिलता है।
इस मृत्युंजय महामंत्र का जाप करने की विधि इस प्रकार से है: साधक को इस मंत्र का शांत चित्त से अपने इच्छा के अनुसार ५१ या १०८ बार जाप करना चाहिए, अगर उसकी इच्छा हो तो वह इस मंत्र का इससे ज्यादा बार जाप कर सकता है। मंत्र का जाप करने के पहले साधक को शिव जी के ब्रह्मांड रूप का स्मरण करके मंत्र का जाप शुरु करना है। मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष जाप माला सबसे उच्चित है।
इस मृत्युंजय महामंत्र का अर्थ: रोगों और कष्टों को खत्म करने वाले अविनाशी रुद्र, समुद्र मंथन का विष पीकर ब्रह्मांड की रक्षा करने वाले नीलकंठ, हमेशा सर्व मंगल करने वाले शंभवे |
सर्व लोगों को अमृत समान वरदान देने वाले अमृतेश, देवों के देव महादेव को मैं नमन करता हूँ।
|| ॐ मृत्युंजयाय रुद्राय नीलकण्ठाय शंभवे |
अमृतेशाय शर्वाय महादेवाय ते नमः ||
|| Om Mrityunjaya Rudraya Neelakanthaya Shambhave |
Amriteshaya Sarvaya Mahadevaya Te Namah ||
नोट: सात महाशक्तिशाली लघु मृत्युंजय मंत्रों को आप यहाँ पर देख सकते हो: सुखी और रोग मुक्त जीवन के लिए पढ़ने के लघु मृत्युंजय मंत्रों की लिस्ट
इस चमत्कारी मृत्युंजय मंत्र का हिंदी वीडियो आप हमारे यूट्यूब चैनल पर देख सकते हो: शरीर में महाशक्तिशाली ऊर्जा भरने का मृत्युंजय मंत्र
इस चमत्कारी मृत्युंजय मंत्र को शिव जी में अटूट भक्ति रखकर सच्चे मन से पढ़ने से कठिन और शक्तिशाली नकारात्मक शक्तियों और गंभीर और जटिल रोगों से मुक्ति मिलती है। मृत्यु, भूत-प्रेत, दुश्मनों और दुर्घटना का भय मन में से तुरंत निकल जाता है। शिव भक्त को मानसिक अशांति, डिप्रेशन, अकारण डर, तनाव, बेचैनी और फोबिआ से शीघ्र छुटकारा मिलता है।
इस मृत्युंजय महामंत्र का जाप करने की विधि इस प्रकार से है: साधक को इस मंत्र का शांत चित्त से अपने इच्छा के अनुसार ५१ या १०८ बार जाप करना चाहिए, अगर उसकी इच्छा हो तो वह इस मंत्र का इससे ज्यादा बार जाप कर सकता है। मंत्र का जाप करने के पहले साधक को शिव जी के ब्रह्मांड रूप का स्मरण करके मंत्र का जाप शुरु करना है। मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष जाप माला सबसे उच्चित है।
इस मृत्युंजय महामंत्र का अर्थ: रोगों और कष्टों को खत्म करने वाले अविनाशी रुद्र, समुद्र मंथन का विष पीकर ब्रह्मांड की रक्षा करने वाले नीलकंठ, हमेशा सर्व मंगल करने वाले शंभवे |
सर्व लोगों को अमृत समान वरदान देने वाले अमृतेश, देवों के देव महादेव को मैं नमन करता हूँ।
|| ॐ मृत्युंजयाय रुद्राय नीलकण्ठाय शंभवे |
अमृतेशाय शर्वाय महादेवाय ते नमः ||
|| Om Mrityunjaya Rudraya Neelakanthaya Shambhave |
Amriteshaya Sarvaya Mahadevaya Te Namah ||
नोट: सात महाशक्तिशाली लघु मृत्युंजय मंत्रों को आप यहाँ पर देख सकते हो: सुखी और रोग मुक्त जीवन के लिए पढ़ने के लघु मृत्युंजय मंत्रों की लिस्ट
इस चमत्कारी मृत्युंजय मंत्र का हिंदी वीडियो आप हमारे यूट्यूब चैनल पर देख सकते हो: शरीर में महाशक्तिशाली ऊर्जा भरने का मृत्युंजय मंत्र
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