इस पोस्ट में, मैंने हर बला, ऊपरी हवा और शक्तिशाली से शक्तिशाली मुठ से बचने के अत्यंत चमत्कारी यंत्र के बारे में लिखा है जो साधक की सर्व हानिकारक और दुष्ट नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है। यंत्र शास्त्र में इस आत्मरक्षा यंत्र को बहुत प्रभावी माना जाता है।
किसी भी दुष्ट शक्ति या छल-कपट से परेशान लोगों के लिए यह यंत्र खुद की रक्षा करने के लिए एक रामबाण उपाय साबित होगा।
इस आत्मरक्षा यंत्र को बना कर धारण करने की विधि इस प्रकार से है:
१] इस चमत्कारी आत्मरक्षा यंत्र को किसी भी शुभ मुहूर्त या हिन्दू त्योहार, जैसे की नवरात्रि, दीपावली, होली, मकर संक्रांति, रवी या गुरु पुष्य अमृत योग या कसी भी पूर्ण या आंशिक सूर्य या चंद्र ग्रहण के काल में बनाया जा सकता है।
२] सवेरे स्नान करने के बाद, अपने पूजा-घर में अगरबत्ती या दिया प्रज्वलित करें और गणेश जी और अपने इष्ट देवता का आशीर्वाद लें और फिर भोजपत्र पर अष्टगंध की स्याही से अनार कलम के साथ लिखें।
३] फिर, थोड़ी देर इस यंत्र को अपने पूजा घर में रखे और फिर एक चांदी की ताबीज में उसे डालकर अपने गले में धारण करें।
४] इस सरल लेकिन महाशक्तिशाली यंत्र उपाय को धारण करने वाली व्यक्ति हर खतरे या संकट से दिव्य सुरक्षा प्राप्त हो जाती है।
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