स्वयं सिद्ध शाबर रोग, पीड़ा और कष्ट नाशक मंत्र


इस पोस्ट में, मैंने एक स्वयं सिद्ध शाबर रोग और पीड़ा विनाशक मंत्र के बारे में लिखा है, जिसका प्रयोग करके साधक सर्व मानसिक, शारीरिक पीड़ा, रोग, दुख-दर्द, निर्बलता और कष्टों से मुक्ति पा सकता है। यह एक शक्तिशाली रोग और कष्टों को नष्ट करने का शाबर मंत्र उपाय है जिसके साथ पूजा-विधि का बंधन जुड़ा हुआ नहीं है।

इस सर्व रोग और पीड़ा नाशक शाबर मंत्र का प्रयोग करने का तरीका इस प्रकार से है:

स्वयं सिद्ध शाबर रोग, पीड़ा और कष्ट नाशक मंत्र

१] अत्यंत शांत चित्त से शवासन मे लेट जायें और अपने हृदय के ऊपर एक शिखा वाला नारियल रखकर आगे बताए शाबर रोग नाशक मंत्र को २१ बार बोलें।

मंत्र
वन में बैठी वानरी | अंजनी जायो हनुमन्त | बाल डमरू ब्याही बिलाई | आंख की पीड़ा | मस्तक पीड़ा | चोरासी बाई। बलि-बलि भस्म हो जाय | पके न फूटे | पीड़ा करे तो गोरखयती रक्षा करे | गुरु की शक्ति मेरी भक्ति |

Mantra
Van Mem Baithi Vaanari | Anjani Jaayo Hanumant | Baal Damru Byaahi Bilaaee | Aankh Ki Peeda | Mastak Peeda | Chourasi Baaee | Bali-Bali Bhasma Ho Jaay | Pake Na Phoote | Peeda Kare To Gorakhayati Raksha Kare | Guru Ki Shakti Meri Bhakti |

२] मंत्र जाप करते समय ऐसी भावना रखें की अपने की सारी शारीरिक और मानसिक पीड़ा, रोग, दुख-दर्द, दुर्बलता उस नारियल में जा रही है। मंत्र जाप पूर्ण होने पर नारियल को कसी भी स्थान पर रखें। इस साधना को २१ दिनों के लिए करें और साधन पूर्ण होने पर नारियल को जल में प्रवाहित करें या किसी भी दुर्गम जगह पर रखें।

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