मन ही मन में सिर्फ तीन बार मंत्र बोलकर तुरंत भयंकर वशीकरण


आज, मैंने एक बहुत ही अद्भुत और अनोखे मोहिनी मंत्र के बारे में बताया है, जिसे मन ही मन में सिर्फ तीन वार बोलने से किसी भी स्त्री या पुरुष का तुरंत भयंकर वशीकरण कर के उसे कोई भी काम या कार्य के लिए राजी किया जा सकता है।

इस मोहिनी मंत्र का उपयोग साधक अपने प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी, रिश्तेदारों, पड़ोसियों, बॉस, दोस्तों और दुश्मनों पर किसी भी हेतु या उद्देश के लिए कर सकता है और उन्हे अनुकूल बना सकता है।

इस सम्मोहन मंत्र पर सिद्धि प्राप्त करने का तरीका: १] सिद्धि साधना का आरंभ किसी भी शुभ मुहूर्त, शुभ नक्षत्र-तिथि-योग, ग्रहण काल, पूर्णिमा, अमावस या किसी भी त्योहार के दिन पर करना है और साधक को इस मंत्र को 12, 500 बार बोलकर उसे सिद्ध करना है।

२] साधक ने सवेरे जल्द उठकर, स्वच्छ कपड़े पहनकर अपने पुजा-घर में धूप और दिया प्रज्वलित करके अपने इष्ट देवता को एक छोटीसी प्रार्थना बोलनी है जो इस प्रकार से बोली जा सकती है – हे प्रभु!मैं आज इस सम्मोहन मंत्र की सिद्ध साधना आरंभ कर रहा हूँ, मैं इस मंत्र का नेक इरादों के लिए इस्तेमाल करूंगा, मुझे इस मंत्र पर सिद्धि प्राप्ति करने में सफलता प्राप्ति का आशीर्वाद दें।

३] साधक मंत्र को हर दिन एक पूर्व-निर्धारित संख्या, जैसे की हर दिन १,२५० बार बोलकर मंत्र को १० दिनों में सिद्ध कर सकता है।
 
तुरंत भयंकर वशीकरण का मोहिनी मंत्र

ॐ भीं क्षां भीं मोहय-मोहय ||
Om Bheem Kshaam Bheem Mohaya-Mohaya ||


४] इस मोहिनी मंत्र के साथ नियम और बंधन जुड़े हुए नहीं है और मंत्र जाप के लिए साधक रुद्राक्ष जाप माला या दूसरी किसी भी माला या काउंटिंग मशीन या काउन्टर का उपयोग कर सकता है।

किसी को भी मोहित करने का सरल तरीका: वशीकरण मंत्र सिद्ध होने के बाद साधक जिसे वश करना चाहता है उसके पास जाकर उसे देखकर इस वशिकारण मंत्र को मन ही मन में सिर्फ ३ बार बोलना है। इस विधि से वह स्त्री या पुरुष साधक से मोहित हो जाती है और एक गुलाम की तरह पेश आने लगती है।

नोट: इस मोहिनी / वशीकरण मंत्र का हिंदी वीडियो आप हमारे यूट्यूब चैनल पर देख सकते हो: सिर्फ मन में मंत्र बोलकर प्रचंड वशीकरण

आकर्षण शक्ति बढ़ाने का अचूक कामदेव गायत्री मंत्र: हर दिन सवेरे इस कामदेव गायत्री मंत्र को २१ बार बोलने से साधक की वशीकरण शक्ति तीव्र हो जाती है और वह सबको को मोहक और लुभावना लगने लगता है।

ऊँ मन्मथेशाय विद्महे काम देवाय धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात् ||
Om Manmatheshaaya Vidmahe Kamadevaya Dheemahi, Tanno Anang Prachodayat ||

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