शिव गायत्री मंत्र का शिवजी में भक्ति रखकर जाप करने से मुश्किल से मुश्किल परेशानी हल हो जाती है और बाधाओं, रोगों, रुकावटों का निवारण हो जाता है।
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शिव गायत्री मंत्र के प्रचंड लाभ:
1] इस मंत्र को बोलने से महाशक्तिशाली ऊर्जा को उत्पन्न किया जा सकता है।
2] रोगों, बीमारियों और डिसऑर्डर का निवारण होकर सेहत अच्छी रहती है।
3] तनाव, डिप्रेशन, थकान, फोबिया, डर और निराशा से छुटकारा मिलता है और मन और शरीर में शक्तिशाली सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
4] शत्रु, गुप्त-शत्रु और प्रतिस्पर्धियों से परेशानी नहीं होती।
5] धन लाभ होता है और नौकरी-व्यवसाय में बरकत होती है।
6] घरेलू और पारिवारिक जीवन में आनंद, सुख और शांति बना रहता है।
शिव गायत्री मंत्र बोलने की विधि:
1] इन 3 शिव गायत्री मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र को चुन कर उसे हर रोज 7, 11, 21 या 108 बार बोला जा सकता है।
2] शिव गायत्री मंत्र का जाप सोमवार से शुरू करना अच्छा होगा।
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शिव गायत्री मंत्र के प्रचंड लाभ:
1] इस मंत्र को बोलने से महाशक्तिशाली ऊर्जा को उत्पन्न किया जा सकता है।
2] रोगों, बीमारियों और डिसऑर्डर का निवारण होकर सेहत अच्छी रहती है।
3] तनाव, डिप्रेशन, थकान, फोबिया, डर और निराशा से छुटकारा मिलता है और मन और शरीर में शक्तिशाली सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
4] शत्रु, गुप्त-शत्रु और प्रतिस्पर्धियों से परेशानी नहीं होती।
5] धन लाभ होता है और नौकरी-व्यवसाय में बरकत होती है।
6] घरेलू और पारिवारिक जीवन में आनंद, सुख और शांति बना रहता है।
शिव गायत्री मंत्र बोलने की विधि:
1] इन 3 शिव गायत्री मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र को चुन कर उसे हर रोज 7, 11, 21 या 108 बार बोला जा सकता है।
2] शिव गायत्री मंत्र का जाप सोमवार से शुरू करना अच्छा होगा।
3] अगर मला का इस्तेमाल करना है तो रुद्राक्ष जाप माला सबसे श्रेष्ट माला होगी।
शिव गायत्री मंत्र:
शिव गायत्री मंत्र:
1] ॐ महादेवाय विद्महे, रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नो शिव: प्रचोदयात
Om Mahadevaya Vidmahe Rudramurtaye Dhimahi Tanno Shivah Prachodayat
Om Mahadevaya Vidmahe Rudramurtaye Dhimahi Tanno Shivah Prachodayat
2] ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र: प्रचोदयात
Om Tatpurushaya Vidmahe Mahadevaya Dhimahi Tanno Rudrah Prachodayat
3] ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, सहस्राक्षाय महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात्
Om Panchavaktraya Vidmahe Sahasrakshaya Mahadevaya Dhimahi Tanno Rudrah Prachodayat
Om Tatpurushaya Vidmahe Mahadevaya Dhimahi Tanno Rudrah Prachodayat
3] ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, सहस्राक्षाय महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात्
Om Panchavaktraya Vidmahe Sahasrakshaya Mahadevaya Dhimahi Tanno Rudrah Prachodayat
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